1. और फ़िर उनसे हुयी बाह्य क्रिया का । 2. अन्तरंग और बाह्य क्रिया में अंतर न होने का नाम ही... 3. अर्थात् हमारा अन्तर्मन ही हमारी बाह्य क्रिया कलापों के लिए जिम्मेदार है। 4. कोई बाह्य क्रिया आपको अपने भीतर में विकल्पों की और बाहर में विविध कृत्रिमताओं तथा 5. उस समय कोई बाह्य क्रिया नहीं होती है, इससे मन अपनी जाल बुनना शुरु कर देता है। 6. शब्द का अर्थ पहले बाह्य क्रिया से और फिर उस क्रिया के प्रत्यय से अधिकाधिक एकाकार हो जाता है। 7. इस प्रकार वस्तुसापेक्ष क्रिया अथवा किसी अन्य बाह्य क्रिया का निष्पादन एक निश्चित गति-श्रॄंखला के निष्पादन तक सीमित नहीं है। 8. और ” इस प्रकार वस्तुसापेक्ष क्रिया अथवा किसी अन्य बाह्य क्रिया का निष्पादन एक निश्चित गति-श्रॄंखला के निष्पादन तक सीमित नहीं है। 9. इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि वस्तुसापेक्ष अथवा अन्य किसी बाह्य क्रिया के निष्पादन का अर्थ एक निश्चित गति-श्रृंखला का निष्पादन है । 10. उसने तिरस्कार के बदले विनम्रता से वजह पूछी, तो भगवान बुध्ध ने समझाया-” मैं चलता हूं और तू खडा है, यह तो बाह्य क्रिया है ।